तरुणोदय

राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान, सहारनपुर द्वारा बच्चों के लिये एक ई- पत्रिका

Thursday, February 13, 2014

एक बार की बात है , किसी शहर में एक बहुत अमीर आदमी रहता था. उसे एक अजीब शौक था , वो अपने घर के अन्दर बने एक बड़े से स्विमिंग पूल में बड़े-बड़े रेप्टाइल्स पाले हुए था ; जिसमे एक से बढ़कर एक सांप, मगरमच्छ ,घड़ियाल ,आदि शामिल थे .

एक बार वो अपने घर पर एक पार्टी देता है .बहुत से लोग उस पार्टी में आते हैं.
खाने-पीने के बाद वो सभी मेहमानों को स्विमिंग पूल के पास ले जाता है और कहता है -
दोस्तों, आप इस पूल को देख रहे हैं, इसमें एक से एक खतरनाक जीव हैं , अगर आपमें से कोई इसे तैर कर पार कर ले तो मैं उसे १ करोड़ रुपये या अपनी बेटी का हाथ दूंगा…”
सभी लोग पूल की तरफ देखते हैं पर किसी की भी हिम्मत नहीं होती है कि उसे पार करे….लेकिन तभी छपाक से आवाज होती है और एक लड़का उसमे कूद जाता है ,और मगरमच्छों , साँपों, इत्यादि से बचता हुआ पूल पार कर जाता है.

सभी लोग उसकी इस बहादुरी को देख हैरत में पड़ जाते हैं. अमीर आदमी को भी यकीन नहीं होता है कि कोई ऐसा कर सकता है ; इतने सालों में किसी ने पूल पार करना तो दूर उसका पानी छूने तक की हिम्मत नहीं की !
वो उस लड़के को बुलाता है , ” लड़के , आज तुमने बहुत ही हिम्मत का काम किया है , तुम सच- मुच बहादुर हो बताओ तुम कौन सा इनाम चाहते हो।
अरे , इनाम-विनाम तो मैं लेता रहूँगा , पहले ये बताओ कि मुझे धक्का किसने दिया था….!” , लड़का बोला.

तो मित्रों ये एक छोटा सा जोक था। पर इसमें एक बहुत बड़ा सन्देश छुपा हुआ है उस लड़के में तैर कर स्विमिंग पूल पार करने की काबीलियत तो थी पर वो अपने आप नहीं कूदा , जब किसी ने धक्का दिया तो वो कूद गया और पार भी कर गया . अगर कोई उसे धक्का नहीं देता तो वो कभी न कूदने की सोचता और न पूल पार कर पाता , पर अब उसकी ज़िन्दगी हमेशा के लिए बदल चुकी थी ऐसे ही हमारे अन्दर कई टैलेंट छुपे होते हैं जब तक हमारे अन्दर कॉन्फिडेंस और रिस्क उठाने की हिम्मत नहीं होती तब तक हम लाइफ के ऐसे कई चैलेंजेज में कूदे बगैर ही हार मान लेते हैं , हमें चाहिए कि हम अपनी काबीलियत पर विश्वास करें और ज़िन्दगी में मिले अवसरों का लाभ उठाएं।
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शिक्षक बंधुओं, 
जैसाकि आप अवगत ही हैं कि राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान, माध्यमिक स्तर पर सर्वसुलभ और गुणवत्तापरक शिक्षा उपलब्ध कराने के बहुआयामी सरोकारों के साथ कार्यरत है। उक्त बहुआयामी सरोकारों के तहत ही राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान, सहारनपुर द्वारा माध्यमिक विद्यालयों, खासतौर से ग्रामीण क्षेत्रों के माध्यमिक विद्यालयों के विद्यार्थीयों के लिए Life skills development के प्रशिक्षण की एक योजना तैयार की जा रही है। इस क्रम में बच्चों और master trainers के लिए अलग-अलग training modules विकसित किए जाने हैं। तद्हेतु आपके सुझाव और सहयोग सादर आमंत्रित है। आपके अमूल्य सुझावों और सहयोग के लिए राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान सचमुच आपका ॠणी रहेगा।
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एक कप कॉफ़ी...

जापान के टोक्यो शहर के निकट एक कस्बा अपनी खुशहाली के लिए प्रसिद्द था एक बार एक व्यक्ति उस कसबे की खुशहाली का कारण जानने के लिए सुबह -सुबह वहाँ पहुंचा . कस्बे में घुसते ही उसे एक कॉफ़ी -शॉप दिखायी दी। उसने मन ही मन सोचा कि मैं यहाँ बैठ कर चुप -चाप लोगों को देखता हूँ , और वह धीरे -धीरे आगे बढ़ते हुए शॉप के अंदर लगी एक कुर्सी पर जा कर बैठ गया .

कॉफ़ी-शॉप शहर के रेस्टोरेंटस की तरह ही थी , पर वहाँ उसे लोगों का व्यवहार कुछ अजीब लगा .

एक आदमी शॉप में आया और उसने दो कॉफ़ी के पैसे देते हुए कहा , “ दो कप कॉफ़ी , एक मेरे लिए और एक उस दीवार पर।

व्यक्ति दीवार की तरफ देखने लगा लेकिन उसे वहाँ कोई नज़र नहीं आया , पर फिर भी उस आदमी को कॉफ़ी देने के बाद वेटर दीवार के पास गया और उस पर कागज़ का एक टुकड़ा चिपका दिया , जिसपर एक कप कॉफ़ी लिखा था .

व्यक्ति समझ नहीं पाया कि आखिर माजरा क्या है . उसने सोचा कि कुछ देर और बैठता हूँ , और समझने की कोशिश करता हूँ .

थोड़ी देर बाद एक गरीब मजदूर वहाँ आया , उसके कपड़े फटे -पुराने थे पर फिर भी वह पुरे आत्म -विश्वास के साथ शॉप में घुसा और आराम से एक कुर्सी पर बैठ गया .

व्यक्ति सोच रहा था कि एक मजदूर के लिए कॉफ़ी पर इतने पैसे बर्वाद करना कोई समझदारी नहीं है तभी वेटर मजदूर के पास आर्डर लेने पंहुचा .

सर , आपका आर्डर प्लीज !”, वेटर बोला .

दीवार से एक कप कॉफ़ी .” , मजदूर ने जवाब दिया .

वेटर ने मजदूर से बिना पैसे लिए एक कप कॉफ़ी दी और दीवार पर लगी ढेर सारे कागज के टुकड़ों में से एक कप कॉफ़ी लिखा एक टुकड़ा निकाल कर डस्टबिन में फेंक दिया .

व्यक्ति को अब सारी बात समझ आ गयी थी . कसबे के लोगों का ज़रूरतमंदों के प्रति यह रवैया देखकर वह भाव-विभोर हो गया उसे लगा , सचमुच लोगों ने मदद का कितना अच्छा तरीका निकाला है जहां एक गरीब मजदूर भी बिना अपना आत्मसम्मान कम किये एक अच्छी सी कॉफ़ी -शॉप में खाने -पीने का आनंद ले सकता है .

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Monday, May 13, 2013


कुछ रोचक वैज्ञानिक तथ्य

  • प्रकाश की गति 186,000 मील प्रति सेकंड होती है।
  • सूर्य से पृथ्वी तक आने में प्रकाश को पूरे 8 मिनट 17 सेकंड लगते हैं।
  • पृथ्वी अपनी धुरी पर 1000 मील प्रति घण्टे की गति से घूमती है और अन्तरिक्ष में 67,000 मील प्रति घण्टे की गति से सूर्य का चक्कर लगाती है।
  • प्रतिवर्ष दस लाख भूकंप पृथ्वी को झकझोरते हैं।
  • अब तक गिरे ओलों में सबसे बड़े ओला, जो कि बांग्लादेश में सन् 1986 में गिरा था, का वजन 1 किलो था।
  • बिजली गिरने के कारण प्रतिवर्ष लगभग 1000 लोग मरते हैं।
हिन्दी वेबसाइट
  • वैज्ञानिक जानारी के अनुसार पृथ्वी का जन्म लगभग 4.56 अरब वर्ष पहले हुआ था।
  • DNA की खोज Swiss Friedrich Mieschler ने सन् 1869 में की थी।
  • वाट्सन (Watson) और क्रिक (Crick) ने सन् 1953 में DNA की आण्विक संरचना सुनिश्चित की थी।
  • थर्मामीटर की खोज सन् 1607 में गैलेलियो (Galileo) ने की थी।
  • आवर्धक लैंस (magnifying glass) की खोज इंग्लिशमैन रोगर बैकन  (Englishman Roger Bacon) ने सन् 1250 में की थी।
  • बारूद (dynamite) का आविष्कार अल्फ्रेड नोबल (Alfred Nobel) ने सन्  1866 में किया था।
  • भौतिक शास्त्र के लिए नोबल पुरस्कार प्रथम बार सन् 1895 में विल्थेलम रोन्टगन (Wilhelm Rontgen) को एक्स-रे की खोज के लिए मिला था।
  • क्रिश्चन बर्नाड (Christian Barnard) ने सन् 1967 में पहली बार हृदय प्रतिरोपण (heart transplant) किया था।
  • एक विद्युत पैदा करने वाली मछली  650 वोल्ट तक बिजली पैदा कर सकती है।
  • मनुष्य के पेट में पाया जाने वाला टेपवर्म (tapeworm) नामक कृमि  22.9 मीटर तक लंबा हो सकता है।
  • चिंपांजी  300 अलग अलग संकेतों को समझने की बुद्धि रखते हैं।
  • एबोला वायरस (Ebola virus) से इन्फेक्टेड प्रति 5 व्यक्तियों में स 4 की मृत्यु हो जाती है।
  • मनुष्य के शरीर में 60,000 मील लम्बी रक्त नलिकाएँ होती हैं।
  • एक रक्त कोशिका को सम्पूर्ण शरीर का एक चक्कर लगाने के लिए लगभग 60 सेकंड का समय लगता है।
  • टेलीफोन के आविष्कारक अलेक्जेंडर ग्राहम बेल (Alexander Graham Bell) की मृत्यु के पश्चात उनके पार्थिव शरीर को दफनाते समय उन्हे श्रद्धांजलि देने के उद्देश्य से सम्पूर्ण  US में  1 मिनट के लिए टेलीफोन सिस्टम को बंद रखा गया था।
  • ब्रह्माण्ड में 100 अरब आकाश गंगाएँ हैं।
  • चुम्बन लेने की अपेक्षा हाथ मिलाने में अधिक जर्म्स स्थानान्तरित होते हैं।
  • आकाश से गिरने वाली वर्षा की बूंदों की गति 18 मील प्रति घण्टे तक होती है।
प्रस्तुति:-अर्जुन अरिहंत
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Sunday, May 12, 2013

मातृ दिवस पर योगेश छिबर सर की दिल को छूने वाली कविता


लेती नहीं दवाई अम्मा,
जोड़े पाई-पाई अम्मा ।

दुःख थे पर्वत, राई अम्मा
हारी नहीं लड़ाई अम्मा ।

इस दुनियां में सब मैले हैं
किस दुनियां से आई अम्मा ।

दुनिया के सब रिश्ते ठंडे
गरमागर्म रजाई अम्मा ।

बाबू जी तो तनख़ा लाये
लेकिन बरक़त लाई अम्मा।

बाबूजी थे छड़ी बेंत की
माखन और मलाई अम्मा।

बाबूजी के पांव दबा कर
सब तीरथ हो आई अम्मा।

नाम सभी हैं गुड़ से मीठे
मां जी, मैया, माई, अम्मा।

सभी साड़ियां छीज गई थीं
मगर नहीं कह पाई अम्मा।

अम्मा में से थोड़ी - थोड़ी
सबने रोज़ चुराई अम्मा ।

अलग हो गये घर में चूल्हे
देती रही दुहाई अम्मा ।

बाबूजी बीमार पड़े जब
साथ-साथ मुरझाई अम्मा ।

रोती है लेकिन छुप-छुप कर
बड़े सब्र की जाई अम्मा ।

लड़ते-सहते, लड़ते-सहते,
रह गई एक तिहाई अम्मा।

बेटी की ससुराल रहे खुश
सब ज़ेवर दे आई अम्मा।

अम्मा से घर, घर लगता है
घर में घुली, समाई अम्मा ।

बेटे की कुर्सी है ऊंची,
पर उसकी ऊंचाई अम्मा ।

दर्द बड़ा हो या छोटा हो
याद हमेशा आई अम्मा।

घर के शगुन सभी अम्मा से,
है घर की शहनाई अम्मा ।

सभी पराये हो जाते हैं,
होती नहीं पराई अम्मा ।
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